ये आपकी हैं रुबाईया
दिल धडकता रहे, कदम बढ़ता रहे,
तो मैं सारे जँहा के गम ले चलू !
पथ सरकता रहे, मन मचलता रहे,
पैगाम हे! वक़्त का, सिर-माथे ले चलू !
जीवन की राह मे, जहां प्रभु का बसेरा हो
मन ही मन सीख झुका नमन करता चलू !!
वक़्त हालात बदल देता हैं,
वक़्त खयालात बदल देता हैं !
अगर थोड़ी सी जिन्दगी मचली,
तो सवालात बदल देता हैं !!
कभी जिन्दगी के हँसी नजारों में,
जाने क्यों मुलाकात बदल देता हैं !!
जिन्दगी तो पराई हैं,
तो लोटने में क्या बुराई हैं !
जग में होता हैं मिलन,
वक़्त तो देता जुदाई हैं !!
जिन्दगी आई हैं, पर पराई हैं,
धरोहर हैं, फिर देने में क्या बुराई हैं !
दुनिया के मेले में होता मिलन
पैगाम लाकर वक़्त देता विदाई हैं !!
मुस्कुरा के नीद उड़ाया न करो,
सपनों में दिल बहलाया न करो !
दिलों के मिलन में इतराया न करो !
अगर प्यार करो तो जताया न करो !!
वक़्त ईश्वर हैं, वक़्त हैं खुदा,
वक़्त ईश्वर है, वक़्त है खुदा,
जन्म देता हैं, तो मृत्यु में वफा !
कोई संगदिल हैं जीवन,
हैं मालिक तू होना न खफा !!
रचयिता: गिरधारीलाल दुआ “मिलन” |
25/86 लक्कड़ खाना के पास टीकमगढ (म.प्र.) 07683-244121
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