जिन्दगी क्या हैं ?”
जिन्दगी वक़्त की उधार हैं,
फिर भी जग से प्यार हैं !
वक़्त के इक पल ने आकर कहा,
आज तेरे चलने की वार हैं !
जब रूकती किसी की सांसे,
हो जाती हैं सजल आँखे !
जब होती खुशियों की बातें,
जब होती सुहानी रातें !!
ख़ुशी-गम मिलते सभी को,
कहते दर्द भरा संसार हैं !......
कोई यादे लिए किसी की,
निभाने चला हैंवादों को !
मंजिल पर यूँ ही चल दिया,
लेकर पक्के इरादों को !!
किसी को हैं अपनों का दर्द मिला,
यही तो जीवन का सार हैं !
यदि दर्द किसी का बाट सको,
यदि खुशियों की झोली भर सको !
दिल के आशियाने में बैठाकर,
गर किसी का इन्तजार कर सको !!
नेक इंसानों की लोगो में सदा,
रह जाती इक यादगार हैं !
रचयिता: गिरधारीलाल दुआ “मिलन” |
25/86 लक्कड़ खाना के पास टीकमगढ (म.प्र.) 07683-244121
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