कुछ संजीव अहसास
जीवन डगर पर,
हसीन सफ़र पर !
दो अजनबी मिले,
दिल से दिल गए मिल !..............
इक अहसास जगा,
पराया कौन हैं सगा !
कदम से कदम मिले,
शीतल पुरवाई में,
खुश हो पात हिले !
चलो चले वहाँ तक,
जहां धरा से गगन गए मिल !................
पथ प्यार का सघन हैं,
दरिया में लहरे देखकर
यह चंचल मन मगन हैं !
धरा की गोद में आज,
दो फूल गए हैं खिल !................
सयोंग से हमराह मिले,
न जग को हैं शिकवे गिले !
प्यार का सौदागर मिला दिल लेने को,
इस विशाल नील-गगन तले !!
इक दुआ मेरी खुदा से,
ये दिल न हो कभी सग दिल !
उठती उमंगो का इक उभार हैं,
जीवन में इक नया ज्वार हैं !
जीवन पथ पर सदा मिलता,
कभी चढ़ाव और कभी उतार हैं !
हर दिन नया सवेरा होगा,
न कभी बादल घनेरा होगा !
खुशनसीब लहरों को आज,
भाग्य से मिल गया हैं साहिल !......... रचयिता: गिरधारीलाल दुआ “मिलन” |
25/86 लक्कड़ खाना के पास टीकमगढ (म.प्र.) 07683-244121
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