GuidePedia

0
                                               हम बहुत कुछ मांगते है

जब तक हैं सलामत हम,
बस इक प्यार मांगते हैं !
जिस वक़्त ने जोड़ा हमें,
उसकी ही पुकार मांगते हैं !!
जो बीत गया उम्र को लिए,
उसी ख़ुशी का सागर मांगते हैं !............

अल्हड जिन्दगी के पल न मिलेगे,
वक़्त के हाथो जो छल गये हैं !
खिल खिलाने के ठहाके न मिलेगे,
कलर व करते पक्षी यही कहेगे !!
वक़्त ने जो कभी हमें दी थी,
वही प्यारकीसोगातमांगते हैं !....
                          
बहारों का बहकना याद आ रहा,
चमन का महकना याद आ रहा !
पक्षी का चहकना याद आ रहा !
तेरे चंचल कदमों की आहट मांगते हैं,.............

न पता था, तू कहीं थी, मै कहाँ था,
दोनों का अपना-अपना इक जँहा  था !
उदास मन की उमीद का क्या कहना,
नसीब ने जोड़ा, तो खुशियों का जँहा था !!
आज, पहली रिमझिम की बरसात मांगते है

रचयिता:  गिरधारीलाल दुआ “मिलन”

 25/86 लक्कड़ खाना के पास टीकमगढ (म.प्र.)         07683-244121


Post a Comment Blogger

 
Top